पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार में सीट बंटवारे के मुद्दे पर महागठबंधन में रस्साकशी, यूपी में सपा-बसपा की दोस्ती और रांची में लालू प्रसाद यादव से सीताराम येचुरी की मुलाकात का मुहूर्त लगभग एक है। खरमास खत्म होने से पहले तेजस्वी यादव की लखनऊ जाकर मायावती और अखिलेश यादव से आत्मीय बात-मुलाकात का बहुत कुछ संकेत है। सियासी जानकार चारों प्रकरणों को जोड़कर बिहार में यूपी की बयार आने का इंतजार कर रहे हैं। आकलन में इसलिए भी दम नजर आ रहा है कि कांग्रेस अगर मजबूत होती है, तो सबसे ज्यादा नुकसान क्षेत्रीय दलों को ही उठाना पड़ेगा।
कांग्रेस के विरोध में जेपी आंदोलन से निकले राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव इस खतरे से अनजान नहीं हैं। इसलिए तेजस्वी को भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस की ओर से आने वाले संकटों से महफूज रखना चाहते हैं। बिहार में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस को साथ लेकर राजद ने कई दलों का गठबंधन किया है। सीट बंटवारे पर बातचीत अभी चल रही है। दो सांसदों वाले जदयू और 22 सांसदों वाली भाजपा में बराबरी के आधार पर समझौते ने कांग्रेस को प्रेरित किया है।