शिक्षा विभाग ने फर्जी डिग्री के आधार पर बहाल वैसे शिक्षकों को उनकी सेवा से बर्खास्त करने का निर्णय किया है, जो निगरानी जांच में पकड़े गए हैं और उनपर निगरानी समेत राज्य के विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज हुए हैं। शुक्रवार को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) की राज्य स्तरीय बैठक में यह निर्देश दिया गया कि ऐसे शिक्षकों पर यथाशीघ्र विभागीय कार्रवाई शुरू कर उनकी सेवा समाप्त की जाए।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक केवीएन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में जिलों द्वारा नियोजित शिक्षकों के फोल्डर उपलब्ध कराने की समीक्षा की गई। कई ऐसे जिले जिन्होंने आधे ही शिक्षकों के कागजात निगरानी को सौंपे हैं, उन्हें जल्द इसे पूरा करने को कहा गया। सीतामढ़ी जिले ने शत प्रतिशत शिक्षकों के फोल्डर निगरानी को दे दिए हैं। बैठक में मुख्य रूप से उर्दू, बंगला, संगीत समेत वैसे शिक्षकों के नियोजन की रुकी प्रक्रिया पर भी विस्तार से चर्चा हुई, जिनका नियोजन शिड्यूल सितम्बर माह के शुरुआत में चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण स्थगित कर दिया गया।
डीपीओ को शिक्षा मंत्री के उस निर्देश से भी अवगत कराया गया जिसमें उन्होंने 15 दिनों के भीतर नियोजन शुरू करने को कहा है। डीपीओ को नियोजन की तैयारी का भी निर्देश मिला। माना जा रहा है कि 8 दिसम्बर को विधानमंडल का सत्र समाप्त होने के बाद उर्दू समेत अन्य विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति कर ली जाएगी। शिक्षा विभाग ने सभी डीपीओ को कहा कि वे 34 हजार 540 श्रेणी के वेतनमान शिक्षकों की अपने जिले में हुई बहाली का ब्यौरा यथाशीघ्र विभाग को दें, ताकि राज्यस्तर पर इस श्रेणी के कितने पद खाली रह गए यह सूचना बिहार लोक सेवा आयोग को दी जा सके। जिलों में दर्ज न्यायालयी वादों पर भी चर्चा हुई। मधुबनी, कटिहार, सारण जिलों में सबसे अधिक मामले लंबित हैं। जिलों को दायर वादों को लेकत सतर्क और मुस्तैद रहने को भी कहा गया।